Wednesday, February 17, 2016

पैरों पे मुझको खड़ा करके,
कांधे पर मेरे चले गयें.।
जिम्मेदारी का एक और सबक,
जाते जाते दे गयें..॥
Pairon pe mujhko khada karke,
Kaandhe par mere chale gaye..
Jimmedari ka ek aur sabak,
Jaate jaate de gaye..

जिनके नाम से मेरी पहचान बनी,

खुशियों के मेरे जो थे धाल बनें.।
करते थे मेरे इच्छाओं को पूरी,
भले शरारत हम लगे थे करने..॥
Jinke naam se meri pahchan bani,
Khushiyon ke mere jo the dhaal bane..
Karte the mere icchhon ko puri,
Bhale shararat hum lage the karne..

उंगली पकड़ जिनके चलना था सीखा,

हाथ जो सर पे सदा था रहता.।
हर वक्त वो आशीष देते थे,
खुशियाँ वहीं हो जहाँ हो मेरा बेटा..॥
Ungli pakad jinke chalna tha seekha,
Haath jo sar pe sada tha rahta..
Har waqt wo aashish dete the,
Khushiyan wahin ho jahan ho mera beta..

जीवन के हर मोड़ पे मुझको,

राह सही दिखाते थे.।
पथरीले रस्ते पे मुझको,
गोद में उठा ले जाते थे..॥
Jeevan ke har mod pe mujhko,
Raah sahi dikhate the..
Pathrile raste pe mujhko,
God mein utha le jaate the..

फूल बन मेरे जीवन में,

खुशबू बिखेर चले गयें.।
आशीष सदा रहे साथ इसलिये,
पगड़ी मेरे सर कर गयें..॥© RRKS.॥
Phool ban mere jeevan mein,
Khushbu bikher chale gaye..
Ashish sada rahe saath isliye,
Pagdi mere sar kar gaye..© RRKS.

1 comment:

  1. सच है माँ बाप बच्चों की खुशी में ही अपनी खुशी देखते है। बहुत भावपूर्ण रचना है ।वाह!
    मेरे ब्लॉग पर पधारें-:http://manishpratapmpsy.blogspot.com
    एक आदमजात महफिल में, हँसता है बहुत जोर से,
    चाँद के उजाले में, आँसू के गीत लिखता है ।

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