कश्मीर कहाँ से आया !?
अमन, भारत के नव विभाजित राज्य झारखंड के बोकारो स्टील सिटी से बारहवीं पास कर उच्च शिक्षा हेतु मध्य प्रदेश के इंदौर शहर आया था, पढ़ाई पूरी भी की उसने मगर पढ़ाई के दौरान उसे सीमा नाम की लड़की से प्यार हो गया। दोनों पढ़ाई पूरी करने के बाद एक होने का मतलब शादी करने का फैसला कियें, मगर जिसमें दोनों के घरवालों की भी मर्ज़ी हो। पढ़ाई पूरी करने के बाद दोनों अपने अपने घर पे जिक्र कियें। अमन के माता पिता बहुत मुश्किल से और सिर्फ़ अमन की खुशी के लिए आखिरकार मान गयें मगर सीमा के घर पे तो सभी विरोध करने लगे, उसके माता, पिता, भाई, बहन सभी। उनके अनुसार दो वजह थे, ना कहने के लिए। पहली अंतर्जाति और दूसरी अंतरराज्यीय (Inter-Caste & Inter-State)। सीमा बहुत कोशिशों के बाद भी किसी को मना न सकी क्योंकि कोई उसकी सुनने को तैयार ही नही था। अमन ने सीमा के पिता से बात करने की कोशिश की तो गालियों के सिवा कुछ हासिल नहीं हुआ, फिर अमन ने सीमा के भाई से बात करने की कोशिश की तो गालियों के साथ धमकियां भी मिली। मगर अमन धैर्य से बात करने की कोशिश करता रहा तब सीमा के भाई ने अमन से कहा- कुछ भी हो जाये मगर कश्मीर पाकिस्तान का नहीं हो सकता। अमन आश्चर्यचकित होकर बोला- कश्मीर कहाँ से आया हमारे बीच और अगर तुम वैसे ही समझना चाहते हो, तो फिर कशमीरीयों से भी तो पुछो कि वो क्या चाहते हैं और उनकी खुशी किस में है। और कोई भारतीय कशमीरी पाकिस्तान का होना भी नहीं चाहता मगर भारतीय ही अगर कशमीरीयों को ना समझें तो किसे और कैसे समझायें। मगर कुछ और गालियाँ और धमकियां ही मिली अमन को जवाब में और सीमा की शादी किसी और से हो गयी। अमन और सीमा चाहते तो घरवालों के बिना भी शादी कर सकते थे, अमन चाहता तो सीमा के पिता और भाई के गालियों और धमकियों का जवाब दे सकता था मगर वें पहले ही फैसला कर चुकें थे कि घरवालों की मर्जी के बिना वो शादी नहीं करेंगे।
"कशमीर में आतंकवादी घुसपैठ। कशमीर के नौजवान भी हथियार उठा रहें हैं। कशमीर में कई आतंकवादी मारे गयें, मगर कुछ उनको आतंकवादी कह रहें हैं, कुछ शहीद।"
अमन ने आज जब इन खबरों को देखा, सुना और पढ़ा तो उसे सीमा के भाई की बात याद आ गई और वो सोचने लगा कि यदि वो भी उस दिन सीमा के घरवालों के गालियों और धमकियों का जवाब देकर और सबके मर्जी के बिना अगर सीमा से शादी कर लेता तो क्या वें दोनों आज खुश रहतें। उस समय अमन के कई हमदर्द भी थे जिनका सहारा लेकर अमन, सीमा के पिता और भाई का बुरा हाल कर सकता था। पलक झपकने जितनी देर में जवाब भी उसके अंतर्मन से आ गई। और जवाब था "ना"। कई लोगों को दुखी करके और वो भी अपने लोगों को दुखी करके भला कैसे कोई खुश रह सकता है। चूंकि अमन आज समझ चूका था कि सीमा के घरवालों को सिर्फ जाति से या राज्य से दिक्कत नहीं थी, बल्कि सीमा के घरवालों को ये भी दिक्कत थी कि सीमा अपने जिन्दगी का फैसला खुद कैसे कर सकती है। जबकि उससे ज्यादा समझदार और जिम्मेदार लोग हैं उसके जिन्दगी का फैसला करने के लिए। आज कश्मीर का भी वही हाल है जिसकी चिंता और चिंतन के लिए कई समझदार और जिम्मेदार लोग हैं, पर फैसला उनको अपने फायदानुसार करना है ना कि कश्मीरीयों के अनुसार। और कई हमदर्द हैं जो अंजाने में और कई हमदर्द बनने का नाटक कर भड़काने का काम कर रहें हैं।
तभी अमन का ध्यान एक और खबर पे गयी, जिसमें यें बात थी कि कई कश्मीरी अपना अलग राज चाहते हैं, शायद लिखने का पर्याय अलग देश था। अमन के मन में एक बात आई कि क्या झारखंड बहुत ज्यादा विकसित हो गया बिहार से अलग होने के बाद और क्या मध्य प्रदेश को बहुत नुकसान हुआ छत्तीसगढ़ बनने के बाद? चूंकि दोनों राज्यों से जुड़ाव के कारण अमन को खबर थी दोनों के हालात। और वो चिंतित हो इस निष्कर्ष पे आया कि भोले-भाले कश्मीरी भी फिर से औरों की राजनीतिक महत्वकांक्षाओं के शिकार हो रहे हैं।
आज कश्मीर जल रहा है, कारण क्या है?
कुछ कहेंगे धर्म, कुछ कहेंगे आतंकवाद। बिना जाने, बिना समझे सभी अपने समझ का प्रदर्शन करेंगे। आज भारत सरकार को कश्मीर के लोगों से बात करनी चाहिए। उनके तकलीफ, उनके जरूरत क्या हैं वो समझना चाहिए। संचार माध्यम जितने भी हैं, सबको सकारात्मक और पूरी खबरें बतानी चाहिए। कश्मीर के बहुत लोगों को खुद सोचना चाहिए कि हथियार उठाने से क्या उनको या उनके घरवालों को वो जिन्दगी मिलेगी जिसके लिए वो हथियार उठा रहे हैं। और उनको खास तौर से उन लोगों की सोच से भी बचना चाहिए जो उनकों शहीद बोल कर उकसा रहे हैं। नौजवानों को शहीद बोल कर उकसाने का और आतंकवादी बोल कर भड़काने का काम किया जा रहा है, और फिर उसी से अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षाअों को पूरा भी किया जा रहा है।
अमन मन ही मन भारत सरकार से, जम्मू-कश्मीर के लोगों से, सभी विद्वानों से जो जाने-अंजाने भड़काने का काम कर रहें हैं, पड़ोसी मुल्कों से और पुरी दुनिया से अपील करने लगा की "जीयो और जीने दो" फिर अपने दोस्त राकेश की लिखी कविता पड़ने लगा-
नफ़रत की आँधी फैल रही,
खत्म हो रहा है प्यार.।
चंद लोगों की वजह से,
बँट रहा है संसार..॥
कुछ अभिमान की खातीर तो,
कुछ गुस्से का हैं शिकार.।
कारण कुछ भी हो मगर,
बढ़ रहा है अत्याचार..॥
संगठन बनाकर बाँट रहें,
बाँट रहें सबके विचार.।
जाति धर्म के नाम पे फिर,
अपनों पे कर रहें हैं वार..॥
कुछ आज़ादी के नाम पर,
नारे खूब लगा रहें.।
परंपरा और संस्कार की वो,
धज्जियाँ खुद उड़ा रहें..॥
असहिष्णुता के नाम पर,
ठहाके सब लगा रहें.।
मुद्दा बना जब मुद्दों का,
वो तब मुद्दा ही भटका रहें..॥
कहीं भक्तों की तो कहीं,
भटकों की टोली हैं.।
कभी निच कर्म हैं उनके,
कभी शर्मिंदा करतीं बोली हैं..॥
जिनकों खुद नहीं शिष्टाचार,
वो सीखा रहें आचार.।
अहंकार ही है उनका,
जिसका जल्द करना होगा उपचार..॥©RRKS!!
अमन, भारत के नव विभाजित राज्य झारखंड के बोकारो स्टील सिटी से बारहवीं पास कर उच्च शिक्षा हेतु मध्य प्रदेश के इंदौर शहर आया था, पढ़ाई पूरी भी की उसने मगर पढ़ाई के दौरान उसे सीमा नाम की लड़की से प्यार हो गया। दोनों पढ़ाई पूरी करने के बाद एक होने का मतलब शादी करने का फैसला कियें, मगर जिसमें दोनों के घरवालों की भी मर्ज़ी हो। पढ़ाई पूरी करने के बाद दोनों अपने अपने घर पे जिक्र कियें। अमन के माता पिता बहुत मुश्किल से और सिर्फ़ अमन की खुशी के लिए आखिरकार मान गयें मगर सीमा के घर पे तो सभी विरोध करने लगे, उसके माता, पिता, भाई, बहन सभी। उनके अनुसार दो वजह थे, ना कहने के लिए। पहली अंतर्जाति और दूसरी अंतरराज्यीय (Inter-Caste & Inter-State)। सीमा बहुत कोशिशों के बाद भी किसी को मना न सकी क्योंकि कोई उसकी सुनने को तैयार ही नही था। अमन ने सीमा के पिता से बात करने की कोशिश की तो गालियों के सिवा कुछ हासिल नहीं हुआ, फिर अमन ने सीमा के भाई से बात करने की कोशिश की तो गालियों के साथ धमकियां भी मिली। मगर अमन धैर्य से बात करने की कोशिश करता रहा तब सीमा के भाई ने अमन से कहा- कुछ भी हो जाये मगर कश्मीर पाकिस्तान का नहीं हो सकता। अमन आश्चर्यचकित होकर बोला- कश्मीर कहाँ से आया हमारे बीच और अगर तुम वैसे ही समझना चाहते हो, तो फिर कशमीरीयों से भी तो पुछो कि वो क्या चाहते हैं और उनकी खुशी किस में है। और कोई भारतीय कशमीरी पाकिस्तान का होना भी नहीं चाहता मगर भारतीय ही अगर कशमीरीयों को ना समझें तो किसे और कैसे समझायें। मगर कुछ और गालियाँ और धमकियां ही मिली अमन को जवाब में और सीमा की शादी किसी और से हो गयी। अमन और सीमा चाहते तो घरवालों के बिना भी शादी कर सकते थे, अमन चाहता तो सीमा के पिता और भाई के गालियों और धमकियों का जवाब दे सकता था मगर वें पहले ही फैसला कर चुकें थे कि घरवालों की मर्जी के बिना वो शादी नहीं करेंगे।
"कशमीर में आतंकवादी घुसपैठ। कशमीर के नौजवान भी हथियार उठा रहें हैं। कशमीर में कई आतंकवादी मारे गयें, मगर कुछ उनको आतंकवादी कह रहें हैं, कुछ शहीद।"
अमन ने आज जब इन खबरों को देखा, सुना और पढ़ा तो उसे सीमा के भाई की बात याद आ गई और वो सोचने लगा कि यदि वो भी उस दिन सीमा के घरवालों के गालियों और धमकियों का जवाब देकर और सबके मर्जी के बिना अगर सीमा से शादी कर लेता तो क्या वें दोनों आज खुश रहतें। उस समय अमन के कई हमदर्द भी थे जिनका सहारा लेकर अमन, सीमा के पिता और भाई का बुरा हाल कर सकता था। पलक झपकने जितनी देर में जवाब भी उसके अंतर्मन से आ गई। और जवाब था "ना"। कई लोगों को दुखी करके और वो भी अपने लोगों को दुखी करके भला कैसे कोई खुश रह सकता है। चूंकि अमन आज समझ चूका था कि सीमा के घरवालों को सिर्फ जाति से या राज्य से दिक्कत नहीं थी, बल्कि सीमा के घरवालों को ये भी दिक्कत थी कि सीमा अपने जिन्दगी का फैसला खुद कैसे कर सकती है। जबकि उससे ज्यादा समझदार और जिम्मेदार लोग हैं उसके जिन्दगी का फैसला करने के लिए। आज कश्मीर का भी वही हाल है जिसकी चिंता और चिंतन के लिए कई समझदार और जिम्मेदार लोग हैं, पर फैसला उनको अपने फायदानुसार करना है ना कि कश्मीरीयों के अनुसार। और कई हमदर्द हैं जो अंजाने में और कई हमदर्द बनने का नाटक कर भड़काने का काम कर रहें हैं।
तभी अमन का ध्यान एक और खबर पे गयी, जिसमें यें बात थी कि कई कश्मीरी अपना अलग राज चाहते हैं, शायद लिखने का पर्याय अलग देश था। अमन के मन में एक बात आई कि क्या झारखंड बहुत ज्यादा विकसित हो गया बिहार से अलग होने के बाद और क्या मध्य प्रदेश को बहुत नुकसान हुआ छत्तीसगढ़ बनने के बाद? चूंकि दोनों राज्यों से जुड़ाव के कारण अमन को खबर थी दोनों के हालात। और वो चिंतित हो इस निष्कर्ष पे आया कि भोले-भाले कश्मीरी भी फिर से औरों की राजनीतिक महत्वकांक्षाओं के शिकार हो रहे हैं।
आज कश्मीर जल रहा है, कारण क्या है?
कुछ कहेंगे धर्म, कुछ कहेंगे आतंकवाद। बिना जाने, बिना समझे सभी अपने समझ का प्रदर्शन करेंगे। आज भारत सरकार को कश्मीर के लोगों से बात करनी चाहिए। उनके तकलीफ, उनके जरूरत क्या हैं वो समझना चाहिए। संचार माध्यम जितने भी हैं, सबको सकारात्मक और पूरी खबरें बतानी चाहिए। कश्मीर के बहुत लोगों को खुद सोचना चाहिए कि हथियार उठाने से क्या उनको या उनके घरवालों को वो जिन्दगी मिलेगी जिसके लिए वो हथियार उठा रहे हैं। और उनको खास तौर से उन लोगों की सोच से भी बचना चाहिए जो उनकों शहीद बोल कर उकसा रहे हैं। नौजवानों को शहीद बोल कर उकसाने का और आतंकवादी बोल कर भड़काने का काम किया जा रहा है, और फिर उसी से अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षाअों को पूरा भी किया जा रहा है।
अमन मन ही मन भारत सरकार से, जम्मू-कश्मीर के लोगों से, सभी विद्वानों से जो जाने-अंजाने भड़काने का काम कर रहें हैं, पड़ोसी मुल्कों से और पुरी दुनिया से अपील करने लगा की "जीयो और जीने दो" फिर अपने दोस्त राकेश की लिखी कविता पड़ने लगा-
नफ़रत की आँधी फैल रही,
खत्म हो रहा है प्यार.।
चंद लोगों की वजह से,
बँट रहा है संसार..॥
कुछ अभिमान की खातीर तो,
कुछ गुस्से का हैं शिकार.।
कारण कुछ भी हो मगर,
बढ़ रहा है अत्याचार..॥
संगठन बनाकर बाँट रहें,
बाँट रहें सबके विचार.।
जाति धर्म के नाम पे फिर,
अपनों पे कर रहें हैं वार..॥
कुछ आज़ादी के नाम पर,
नारे खूब लगा रहें.।
परंपरा और संस्कार की वो,
धज्जियाँ खुद उड़ा रहें..॥
असहिष्णुता के नाम पर,
ठहाके सब लगा रहें.।
मुद्दा बना जब मुद्दों का,
वो तब मुद्दा ही भटका रहें..॥
कहीं भक्तों की तो कहीं,
भटकों की टोली हैं.।
कभी निच कर्म हैं उनके,
कभी शर्मिंदा करतीं बोली हैं..॥
जिनकों खुद नहीं शिष्टाचार,
वो सीखा रहें आचार.।
अहंकार ही है उनका,
जिसका जल्द करना होगा उपचार..॥©RRKS!!
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