क्या इसको ही तुम कहते हो जिहाद.?
क्या ऐसे ही सुनेगा ख़ुदा तुम्हारी फ़रियाद..??
शहादत गुनाह का फर्क पता नही तुम्हें,
इंतक़ाम के नाम पर कर रहे इंसानियत बर्बाद..।।
Kya isko hi tum kahte ho jihad.?
Kya aise hi sunega khuda tumhari fariyaad.?
Shahadat gunah ka fark pata nahi tumhein,
Intakam ke naam par kar rahe insaniyat barbaad..
किस बात की है तुम्हारी लड़ाई.?
किसने तुम्हें ये सबक पढ़ाई..??
एक बार जो तुम खुद पढ़ लेते क़ुरान,
जान जाते सच्चे ख़ुदा की ख़ुदाई..।।
Kis baat ki hai tumhari ladai.?
Kisne tumhein ye sabak padhai.?
Ek baar jo tum khud padh lete Quran,
Jaan jate sachche khuda ki khudai..
किस दर्द का तुम्हें करवाना है एहसास.?
ये कैसा है मुहिम जिसे तुम कहते हो खास..??
लो दर्द में है आज हर बाशिन्दा,
पर हर क़ौम है तुम्हारे करनी पर शर्मिन्दा..।।
Kis dard ka tumhe karwana hai ehasaas.?
Ye kaisa hai muhim jise tum kahte ho khaas.?
Lo dard mein hai aaj har bashinda,
Par har kaum hai tumhare karni par sharminda..
अब बन्द करो शहादत के नाम पर दहशत फैलाना,
ख़ुशनुमा माहौल में यूँ ज़हर मिलाना.।
जिस राह पर तुम चल पाना चाहते हो मंज़िल,
वो मुहम्मद का नहीं है ठिकाना..।।RRKS.।।
Ab band karo shahadat ke naam par dahshat failana,
Khushnuma mahaul mein yun jahar milana..
Jis raah pe tum chal pana chahte ho manzil,
Wo Muhammad ka nahi hai thikana..RRKS.
क्या ऐसे ही सुनेगा ख़ुदा तुम्हारी फ़रियाद..??
शहादत गुनाह का फर्क पता नही तुम्हें,
इंतक़ाम के नाम पर कर रहे इंसानियत बर्बाद..।।
Kya isko hi tum kahte ho jihad.?
Kya aise hi sunega khuda tumhari fariyaad.?
Shahadat gunah ka fark pata nahi tumhein,
Intakam ke naam par kar rahe insaniyat barbaad..
किस बात की है तुम्हारी लड़ाई.?
किसने तुम्हें ये सबक पढ़ाई..??
एक बार जो तुम खुद पढ़ लेते क़ुरान,
जान जाते सच्चे ख़ुदा की ख़ुदाई..।।
Kis baat ki hai tumhari ladai.?
Kisne tumhein ye sabak padhai.?
Ek baar jo tum khud padh lete Quran,
Jaan jate sachche khuda ki khudai..
किस दर्द का तुम्हें करवाना है एहसास.?
ये कैसा है मुहिम जिसे तुम कहते हो खास..??
लो दर्द में है आज हर बाशिन्दा,
पर हर क़ौम है तुम्हारे करनी पर शर्मिन्दा..।।
Kis dard ka tumhe karwana hai ehasaas.?
Ye kaisa hai muhim jise tum kahte ho khaas.?
Lo dard mein hai aaj har bashinda,
Par har kaum hai tumhare karni par sharminda..
अब बन्द करो शहादत के नाम पर दहशत फैलाना,
ख़ुशनुमा माहौल में यूँ ज़हर मिलाना.।
जिस राह पर तुम चल पाना चाहते हो मंज़िल,
वो मुहम्मद का नहीं है ठिकाना..।।RRKS.।।
Ab band karo shahadat ke naam par dahshat failana,
Khushnuma mahaul mein yun jahar milana..
Jis raah pe tum chal pana chahte ho manzil,
Wo Muhammad ka nahi hai thikana..RRKS.
कौन कहता है, वक़्त मरता नहीं...
ReplyDeleteहमने सालों को ख़त्म होते देखा है, दिसम्बर में ,आज कुछ बस्ते घर नहीं जायेंगे .....
वो 26/11था आज 16/12 है,
कल धरती हमारी थी हथियार तुम्हारे थे,
आज धरती भी तुम्हारी है हथियार भी तुम्हारे है, हमे दुःख कल भी था आज भी है....