तोतली बोली से जीवन के अंतिम पल तक,
रहती जिसे सदा सीखने की ललक.!
बन कर रहता जो विधार्थी,
भगवान भी हैं बनते उनके सारथी..!!
Totli boli se jeevan ke antim pal tak,
Rahti jise sada seekhne ki lalak..
Ban kar rahta jo vidyarthi,
Bhagwan bhi hain bante unke saarthi..
बोलना तो हम हैं सीख जाते,
उच्चारण सही पर गुरु है सिखाते.!
शब्दों से या खुद से करनी हो पहचान,
गुरु ही देते इसका ज्ञान..!!
Bolna to hum hain seekh jaate,
Uchcharan sahi par guru hai sikhate..
Shabdon se ya khud se karni ho pahchan,
Guru hi dete iska gyan..
ज्ञान की नहीं है कोई सीमा,
सबसे बेहतर है ये बीमा.!
सही है इसमे निवेश करना,
अन्धकार दूर करने को शिक्षक लेते हैं जिम्मा..!!
Gyan ki nahi hai koi seema,
Sabse behtar hai ye bima..
Sahi hai isme nivesh karna,
Andhkar dur karne ko shikshak lete hain jimma..
कभी प्यार तो कभी सख्ती से,
कभी सिर्फ अभिव्यक्ति से.!
अनुशासित रखते हैं सबको,
गुरुजन अपने अनुभूति से..!!
Kabhi pyar to kabhi sakhti se,
Kabhi sirf abhivyakti se..
Anushasit rakhte hain sabko,
Gurujan apne anubhuti se..
कुछ को मिलता है मान सम्मान,
कुछ रह जाते हैं गुमनाम.!
जीवन पथ पे रोशनी देने वाले,
सभी गुरुजन को मेरा प्रणाम..!!RRKS.!!
Kuch ko milta hai maan samman,
Kuch rah jaate hain gumnaam..
Jeevan path pe roshni dene wale,
Sabhi gurujan ko mera Pranam..RRKS.
सुंदर ।
ReplyDeleteधन्यवाद..।।
Deleteजरूरी है सीखने की ललक ... अंतिम समय तक ...
ReplyDeleteसच कहा है इन पंक्तियों में ...
बिल्कुल होना चाहिए.. आभार..।।
DeleteSarwotm rachna
ReplyDeleteधन्यवाद करूणेश..।।
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